पारम्परिक देवी-देवताओं के लोकगीत

विनायक बाबा का गीत


हमारे यहाँ प्रत्येक शुभकार्य गणेश वन्दना से ही आरम्भ होता है। पाप विनाशक मंगलकारक गजानन गणेश की पूजा सुख-समृद्धि वैभव और भौतिक सम्पदा की दात्री देवी लक्ष्मी के साथ की जाती है। लोकगीतों में गणेश की आराधना के बड़े मनोहारी चित्र हमें मिलते हैं।
गीत-1
म्हारा प्यारा रे गजानन्द आइयो जी,
रिद्धि-सिद्धि न साथ लाइयो जी ।
म्हारे प्यारे रे गजानन्द आइयो जी,
थानै सबसे पहले मनावा, लडुवन को भोग लगावो,
थे मूसै चढ़कर आइयो जी,
हमारा प्यारा रे गजान्नद आइयो।
माँ पार्वती का प्यारा, षिव षंकर लाल दुलारा,
थे बांध पागड़ी आइयो जी,
हमारा प्यारा रे गजानन्द आइयो।
थे रिद्धि-सिद्धि के दातारी, थानै मनावै दुनिया सारी,
हमारा अटके काम बनाइयो जी,
हमारा प्यारा रे गजानन्द आइयो ।
थारो घर-घर में गुण गावैं, थारे चरणा में षीष नवावां जी
म्हारो कारज सफल बनाइओ जी,
म्हारा प्यारा रे गजानन्द आइयो ।
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गीत-2
चलो विनायक हम, विरद घर चले ।
सुन्दर-सुन्दर सगुन दिलावा ओ राज ।।
एक बिरद विनायक हमारा देव बिनायक
छोटी सी पिण्डी कामणं घाला ओ राज
चलो विनायक हम, कुम्हार के घर चले
सुन्दर-सुन्दर बरतन, मुलावां ओ राज ।
एक बिरद विनायक हमारा देव बिनायक छोटी सी..
चलो विनायक हम, सोनी के घर चले
सुन्दर-सुन्दर गहना, घडावां ओ राज ।
एक बिरद विनायक हमारा देव बिनायक छोटी सी..
चलो विनायक हम, बजाजी के घर चले
सुन्दर-सुन्दर चून्दडी, मुलावा ओ राज ।
एक बिरद विनायक हमारा देव बिनायक छोटी सी..
चलो विनायक हम समधी घर चाला
छोटी सी बन्नी परनावा ओ राज
एक बिरद विनायक हमारा देव बिनायक छोटी सी..
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